♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गम का विलय..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं भावों का सागर हूँ, मैं अपना रस्ता तय कर लूँगा!
अपने स्वर में दर्द वसाकर, मैं गीतों में लय कर लूँगा!
मुझे अकेला देख भले ही, मेरे दुश्मन मुस्काते हों,
लेकिन मैं अपने साहस से, अपने हक की जय कर लूँगा!
ये मेरा विश्वास है खुद पर, ये कोई अभिमान नहीं है!
यूँ ही मैं संघर्ष करूँगा, जब तक तन बेजान नहीं है!
धीरे धीरे खून में अपने, गम का यहाँ विलय कर लूँगा!
मैं भावों का सागर हूँ, मैं अपना रस्ता तय कर लूँगा.....
इस जीवन की राह पे देखो, रोजाना बदलाव हुए हैं!
कभी यहाँ पर आंसू फूटे, कभी यहाँ पर घाव हुए हैं!
"देव" यहाँ पर पत्थर बनकर, अपने दिल को कुचल रहे हैं,
दर्द के झरने उमड़ उमड़ कर, देखो तो सैलाब हुए हैं!
जब अपने ही बदल गए तो, गैरों से क्या गिला करूँगा!
हाँ लेकिन मैं अब लोगों से, सोच समझकर मिला करूँगा!
धीरे धीरे सही राह पर, चलकर यहाँ विजय कर लूँगा!
मैं भावों का सागर हूँ, मैं अपना रस्ता तय कर लूँगा!"
..................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-२६.०४.२०१३