♥♥♥♥♥♥♥♥♥ईमान...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खुद से नजर मिलाना भी, आसान न रहा!
जिन लोगों का जिन्दा यहां, इमान न रहा!
मिलते हैं मुझे यूँ तो, बहुत आदमी लेकिन,
इस दुनिया में शायद कोई, इंसान न रहा!
मुजरिम को रिहाई यहां, पीड़ित को सजा है,
लगता है के भगवान भी, भगवान न रहा!
जो पालते हैं उनको ही, मिलती हैं ठोकरें,
माँ बाप का अब इतना भी, अहसान न रहा!
रोता है आज "देव", ये भारत भी देखकर,
आजाद, भगत सा कोई, कुरबान न रहा!"
...........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२०.०२.२०१३