Thursday, 15 March 2012

♥आदमी या दैत्य...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥आदमी या दैत्य...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हम सिक्कों की खनक में सारी अपनायत को भुला रहे हैं!
हम दौलत की प्यास में देखो, रिश्तों में विष मिला रहे हैं!
"देव" सुना था यहाँ शवों की, मुक्ति अग्नि से होती थी,
आज मगर हम दानव बनकर, जिन्दों को भी जला रहे हैं!"
.........."शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव".............


♥♥इंतज़ार..♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इंतज़ार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
हमदम मेरे मुझे तुम इतना इंतज़ार क्यूं करवाते हो !
दिन बीते यादो में तेरी, रात को तारे गिनवाते हो!
मेरी बेचैनी का तुम पर, कोई असर नहीं होता है,
और परेशां मुझे देखकर, तुम छुप-२ के मुस्काते हो!"

"
प्रेम का हिस्सा है इंतजार और शरारत! शरारत में जब हमदम छुपकर इंतजार की तड़प देखते हैं तो एक असीम प्रेम अनुभूति मिलती है और उससे ज्यादा आनंद तब आता है जब द्वितीय पक्ष रूठ जाता है और उसे मनाया जाता है! "

चेतन रामकिशन "देव"