Friday 23 March 2012

♥♥माँ (एक सहेली)♥♥


♥♥♥♥♥माँ (एक सहेली)♥♥♥♥♥♥♥
एक सहेली के जैसे माँ, बच्चों की बातें सुनती है!
सदा सहारा देकर के माँ, बच्चों के सपने बुनती है!

बच्चे भी अपनी पीड़ा को, सबसे पहले माँ से कहते!
माँ का गर स्पर्श मिले न, तो बच्चे मुरझाये रहते!
कभी-२ तो बच्चों के संग, माँ बन जाए छोटी बच्ची,
और कभी गलती करने, बच्चे माँ का गुस्सा सहते!

अपने बच्चों के जीवन से, माँ देखो कांटे चुनती है!
एक सहेली के जैसे माँ, बच्चों की बातें सुनती है!"

................चेतन रामकिशन "देव"....................