Thursday, 19 February 2015

♥♥♥वास्ता...♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥वास्ता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पांव में छाले पड़े हैं, जिस्म भी अब काँपता है। 
कौन है पर जो हमारे, दर्द को अब भाँपता है। 

एड़ियां भी फट गयीं हैं, और कांटे चुभ रहे हैं,
क्या कोई इस उम्र में भी, रास्तो को नापता है। 

रात काटी है तड़प कर, दिन में रोटी की जुगत हो,
जिंदगी का जाने कब तक, मुझ से ऐसा वास्ता है। 

फूल की राहों पे चलना, हक़ है केवल मालिकों का,
क्या किसी मुफ़लिस की खातिर, भी गुलों का रास्ता है। 

कोई कम कपड़ों में हो तो, कैमरे चलने लगेंगे,
पर किसी भूखे का नंगा, तन भी कोई छापता है। 

लफ्ज़ तो इतने बड़े के, आँख में आते नहीं हैं,
क्या मगर दिल से भी कोई, प्रेम सागर वांचता है। 

"देव" क्या कहना किसी से, कौन है हमदर्द आखिर,
मतलबों के इस जहाँ में, मतलबों का वास्ता है। "

.................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-२०.०२.२०१५

♥♥वृतचित्र ...♥♥


♥♥♥♥वृतचित्र ...♥♥♥♥♥♥
वृतचित्र वो है जीवन का। 
प्रिय मित्र वो है जीवन का। 
मेरा हर क्षण करे सुगन्धित,
लगे इत्र वो है जीवन का। 

उसके बिन जीवन भारी है। 
दुश्वारी है, लाचारी है। 
उसे देखकर मन खुश होता,
छवि बहुत उसकी प्यारी है। 

वो आये मेरे ख्वाबों में,
लगे चित्र वो है जीवन का।  
मेरा हर क्षण करे सुगन्धित,
लगे इत्र वो है जीवन का... 

उसके साथ मेरा दिन उजला,
उससे रात धवल होती है। 
उसे देखकर ज्योति मिलती,
मानो वो कोई मोती है। 
"देव" जहाँ में उससे बढ़कर,
मेरे दिल को कोई नहीं है,
उसके बिन दिल में पीड़ा हो,
आँख मेरी हर पल रोती है। 

धूप में उसका साया सुख दे,
लगे छत्र वो है जीवन का। 
मेरा हर क्षण करे सुगन्धित,
लगे इत्र वो है जीवन का। "

......चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१९.०२.२०१५