Thursday 29 January 2015

♥♥माँ(एक अनुपम छवि )♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥माँ(एक अनुपम छवि )♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

दुआ माँ की यहाँ, हर एक सफर आसान करती है। 
हवाले हमको माँ खुशियों की, देखो खान करती है। 
वो अपने दूध से सींचे, नये अंकुर से बच्चे को,
हजारो ग़म सहे फिर भी, ख़ुशी का दान करती है। 

छवि माँ की अनुपम है, हसीं किरदार माँ का है। 
समूचे विश्व से ऊपर, धरा पे प्यार माँ का है। 

बड़ा ही मखमली दिल है, नहीं अभिमान करती है। 
दुआ माँ की यहाँ, हर एक सफर आसान करती है...

है ममता की नदी कोई, धरा पे ईश जैसी माँ। 
हंसी देती, ख़ुशी देती, दुआ, आशीष जैसी माँ। 
उजाला दीप की तरह, भरे बच्चों के जीवन में,
बड़ी सुन्दर, मनोहारी, सुमन के शीश जैसी माँ। 

है चंदा की धवल बारिश, मधुर प्रभात जैसी है। 
सुलाये लोरियां गाकर, सुकूं की रात जैसी है। 

बड़ी होकर भी माँ बच्चों का, हर पल मान करती है। 
दुआ माँ की यहाँ, हर एक सफर आसान करती है...

बड़ा ही त्याग करती है, हर एक इच्छा को मारेगी। 
मगर संतान का अपनी, सदा जीवन संवारेगी। 
नहीं है "देव" दुनिया में, कोई समकक्ष भी माँ के,
है वो एक माँ जो बच्चों के लिये, जीवन गुजारेगी। 

मधुर है माँ शहद जैसी, वो रेशम सी मुलायम है। 
दिखे मामूली पर दुनिया, उसी के दम पे कायम है। 
  
गलत क़दमों पे वो झिड़के, सही का ज्ञान करती है। 
दुआ माँ की यहाँ, हर एक सफर आसान करती है। "

"
माँ-एक ऐसी अनुपम छवि, जिसके व्यक्तित्व एवं कृतत्वों के समकक्ष कोई दूसरा नहीं ठहरता, माँ है तो दुनिया पे जीवन है, माँ है तो आँगन में लोरियों की गूंज और स्नेह की छुअन है, तो आइये माँ को नमन करें। "

" माँ शब्द एवं रूप का सम्मान करते हुये, मेरी ये रचना मेरी जन्मदायित्री माँ कमला देवी जी एवं मानस माँ प्रेमलता जी को समर्पित। "

" सर्वाधिकार सुरक्षित, मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित। "

चेतन रामकिशन "देव" 
दिनांक-३०.०१.२०१५ 

♥♥कायनात...♥♥


♥♥♥♥♥कायनात...♥♥♥♥♥
चाँद, तारों से बात हो जाती। 
मेरी रंगीन रात हो जाती। 

तू जो मिलती तो मेरे आंचल में,
सारी ये कायनात हो जाती। 

डाल बन जाता मैं तुम्हारे लिये,
और तू मेरी पात हो जाती। 

टूट जातीं मजहब की जंजीरें,
अपनी इंसानी जात हो जाती। 

"देव" फूलों से मुस्कुराते हम,
दर्द की देखो मात हो जाती। "

.......चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-- २९ .०१.१५