♥♥♥♥♥कायनात...♥♥♥♥♥
चाँद, तारों से बात हो जाती।
मेरी रंगीन रात हो जाती।
तू जो मिलती तो मेरे आंचल में,
सारी ये कायनात हो जाती।
डाल बन जाता मैं तुम्हारे लिये,
और तू मेरी पात हो जाती।
टूट जातीं मजहब की जंजीरें,
अपनी इंसानी जात हो जाती।
"देव" फूलों से मुस्कुराते हम,
दर्द की देखो मात हो जाती। "
.......चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-- २९ .०१.१५
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