Friday, 7 February 2014

♥♥…तो दिल भर आया ♥♥

♥♥♥♥♥♥…तो दिल भर आया ♥♥♥♥♥♥♥♥
कुछ अधूरे जो रहे ख्वाब, तो दिल भर आया!
दर्द से दिल में हुए घाव, तो दिल भर आया!

उम्र भर मुझको चुभन, काँटो की जो देता रहा,
वो मेरी कब्र में लेकिन, गुलाब भर आया!

ब्याज की तरह इजाफा है, मेरे अश्कों में,
मैंने सोचा था ग़मों का, हिसाब कर आया!

मैंने मांगीं थी यहाँ, जिससे दवा की बूंदें,
जाम में वो मेरी खातिर, शराब भर आया!

रात दिन लानतें देता था जिस सियासी को,
चंद रुपयों को उसी का, चुनाव कर आया!

बाद अरसे के दिखाकर, मुझे सूरत अपनी,
मेरे जीवन में वो गम का, बहाव कर आया!

"देव" हाथों से बनाकर के, बुत खुद ही का मैं,
दर्द की राख से उसमें, रुआब भर आया! "

..........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-०७.०२.२०१४