Thursday, 12 March 2015

♥♥इतिहास...♥♥



♥♥♥♥♥इतिहास...♥♥♥♥♥♥♥
प्रेम का हर इतिहास तुम्ही से। 
कायम है एहसास तुम्ही से। 
तुम वर्णित हो प्रेम कथा में,
बरसाने का रास तुम्ही से। 
तुम्हे देखकर हंस लेता हूँ,
मेरा हर उल्लास तुम्ही से। 
तुम मुझको प्रेरित करती हो,
है मेरा प्रयास तुम्ही से। 

तुम वीणा की मधुर तान में,
तुम गायन के सात स्वर में। 
खुशियां आँगन में रहती हैं,
तुमसे ही रौनक है घर में। 

तुमसे हरी भरी पृथ्वी है,
और नीला आकाश तुम्ही से। 
तुम मुझको प्रेरित करती हो,
है मेरा प्रयास तुम्ही से ...

तुम रंगोली के रंगों में,
तुमसे आलेखन बनता है। 
बिना तुम्हारे मैं अपूर्ण हूँ,
तुमसे ही जीवन बनता है। 
केश तुम्हारे इतने प्यारे,
मुझे बचाते कड़ी धूप से,
तुम घर की आधार कड़ी हो,
तुमसे ही आँगन बनता है। 

तुमसे ही कविता रचती है,
भावों का अभ्यास तुम्ही से। 
तुम मुझको प्रेरित करती हो,
है मेरा प्रयास तुम्ही से ...

तुम आकर्षक, मनोहारी हो,
और आत्मा से प्यारी हो। 
एक दूजे के एहसासों में,
जीवन की साझेदारी हो। 
"देव" तुम्हारे प्रेम को पाकर,
पतझड़ में सावन बरसा है,
तुम बगिया की हरियाली में,
तुम फूलों की फुलवारी हो। 

तुम्ही साल में, तुम जीवन भर,
दिवस, निशा, हर मास तुम्ही से। 
तुम मुझको प्रेरित करती हो,
है मेरा प्रयास तुम्ही से। "

.....चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-१२.०३.२०१५