Sunday 1 December 2013

♥♥♥गुमसुम चाँद..♥♥♥

♥♥♥♥गुमसुम चाँद..♥♥♥♥
गुमसुम चाँद दिखाई देता!
गम का शोर सुनाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता!

लम्हे दिन के कटे न तुम बिन,
निशा मेरी खामोश गुजरती!
तुम बिन सावन पतझड़ सा है,
सूनी ये मधुमास गुजरती!

आह मेरे अधरों से निकले,
कोई नहीं दवाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता …

आँख से आंसू बह जाते हैं,
दुख के बादल मुस्काते हैं!
बिना तुम्हारे इस दुनिया में,
हम तो तन्हा रह जाते हैं!

शीत ऋतू में तन मन कांपे,
कोई न गरम सिकाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता …

शब्दों में भी दर्द जगा है,
गीत खुशी के लिख नहीं पाता!
"देव" तुम्हारे बिन आँखों को,
कोई सपना दिख नहीं पाता!

सब देते हैं छिलन खार की,
कोई नहीं नरमाई देता!
बिना तुम्हारे मेरा चेहरा,
पीड़ा की परछाई देता!"

..…चेतन रामकिशन "देव"…..
दिनांक-०१.१२.२०१३