Monday, 10 August 2015

♥♥बदनसीब...♥♥

♥♥♥♥♥बदनसीब...♥♥♥♥♥♥
कोई जब बदनसीब होता है। 
दर्द कितना करीब होता है। 

बस्तियां ढहतीं वो इशारों में,
जिनमें घर घर गरीब होता है। 

एक अरबों में, एक पाई में,
क्या सभी कुछ नसीब होता है। 

बेटा हो कोख में, तो खुशियां मनें,
बेटी पे दिल अजीब होता है। 

"देव" ये दर्द, कई गुना बढ़ता,
वक़्त जब भी रक़ीब होता है। "


.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१०.०८.२०१५   
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