Monday, 6 August 2012

♥♥माँ का स्वरूप..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का स्वरूप..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दो अक्षर का नाम है माँ का, किन्तु इसमें जगत समाया!
अपनी नींद की परवाह न कर, पहले माँ ने मुझे सुलाया!
मुझे खिलौने देकर के माँ, मुस्काने का अवसर देती,
और मेरा रोना सुन माँ ने, मुझको अपने गले लगाया!

प्यारी माँ की पावन ममता, बड़े सुनहरे रंग भरती है!
माँ बच्चों के हित में हरदम, हर संभव कोशिश करती है!

माँ ने खुद भूखा रहकर के, पहले देखो मुझे खिलाया!
दो अक्षर का नाम है माँ का, किन्तु इसमें जगत समाया!"


.................चेतन रामकिशन "देव".......................