Sunday, 2 November 2014

♥ ♥चाँद पे घर....♥


♥♥♥♥♥चाँद पे घर....♥♥♥♥
गिरके संभलेंगे हमने ठाना है।
हमको मंजिल की ओर जाना है।

हार जाने से होंसला न डिगे,
चाँद पे हमको घर बनाना है।

बंदिगी, जिंदगी ये है जब तक,
जीत और हार को तो आना है।

अपने आपे से पहले सच बोलो,
रूह से अपनी क्या छुपाना है।

बाद मरके भी याद आयें जो,
नाम इतना हमें कमाना है।

क्या हुआ आज जो मिले कांटे,
कल में फूलों को खिलखिलाना है।

"देव" रोशन जहाँ ये हो जाये,
प्यार का दीप फिर जलाना है। "

......चेतन रामकिशन "देव"….
दिनांक- ०३.११.२०१४