Saturday 27 October 2012


♥♥♥♥सुख की प्रकृति..♥♥♥♥
प्रेम से रिक्त ह्रदय न करना,
समस्याओं से भय न करना,
तुम औरों को पीड़ा देकर,
अपने को सुखमय न करना!

जो औरों को पीड़ा देकर, बस अपना हित कर जाते हैं!
वही लोग अपनी आँखों से, एक दिन देखो गिर जाते हैं!
लोग भला वो इस दुनिया में, कहाँ कोई इतिहास बनाते,
जो अपने जीवन में देखो, नाकामी से डर जाते हैं!

तुम मिथ्या की जय न करना!
गलत लक्ष्य को तय न करना!
"देव" किसी के जीवन में तुम,
दुःख का सूर्य उदय न करना!

प्रेम से रिक्त ह्रदय न करना,
समस्याओं से भय न करना!"

.....(चेतन रामकिशन "देव")......


♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल के लफ्ज़.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं अपने दिल के लफ्जों की तहरीर लिख रहा हूँ!
ग़ालिब कभी मुंशी तो कभी मीर लिख रहा हूँ!

मैं एक मुसाफिर हूँ, मोहब्बत के सफ़र का,
राँझा कभी मजनूं तो कभी हीर लिख रहा हूँ!

न झूठ की रंगत न कोई सोच पे पहरा,
मैं मुल्क के हालात की तस्वीर लिख रहा हूँ!

देकर के नेक इन्सां को मैं दिल से सलामी, 
नेताओं का बिकता हुआ ज़मीर लिख रहा हूँ!

वो लोग देखो "देव" को भुलाने लगे हैं,
मैं जिनके लिए प्यार की जागीर लिख रहा हूँ!"

............(चेतन रामकिशन "देव")..............