Tuesday, 26 May 2015

♥रंजिश...♥

♥♥♥♥♥♥♥रंजिश...♥♥♥♥♥♥♥♥
कितनी रंजिश जता रहा है वो। 
मुझको पत्थर बता रहा है वो। 

जो मेरे दर्द से जुड़ा था कभी,
आज मुझको सता रहा है वो। 

जिसने बोला था सुबह आऊंगा,
शाम से लापता रहा है वो। 

उसने लिखा था प्रेम का जो खत,
आज तक बेपता रहा है वो। 

"देव" लिखता जो प्रेम के मुक्तक,
मुझको नफरत बता रहा है वो। "

......चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-२६.०५.२०१५ 
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