♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥वर्षा का जल...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ।
बिना तुम्हारे पथ दुर्गम है, साथ चलो तुम बल बन जाओ।
सखी ये मेरी प्रेम तपस्या, उसी दिवस तो सफल बनेगी,
आज, अभी के साथ साथ तुम, अगर हमारा कल बन जाओ।
दीर्घकाल तक, जनम जनम तक, साथ तेरा पाना चाहता हूँ।
इस सृष्टि के हर युग में मैं, साथ तेरे आना चाहता हूँ।
तुम शब्दों की संवाहक बन, कविता की रचना कर देना,
और मैं बनकर कंठ सुरीला, भाव तेरे गाना चाहता हूँ।
दिवस, रात तुम साँझ, सवेरे, तुम्ही पहर, तुम पल बन जाओ।
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ ...
निशा में तुम हो धवल चन्द्रमा, और दिवस में तुम दिनकर हो।
तुम धरती की हरियाली में, इन्द्रधनुष का तुम अम्बर हो।
"देव" तुम्हारे कदम पड़े तो, आँगन में खुशियां आयीं हैं,
तुम फूलों की खुशबु में हो, तुम मीठी हो, तुम मधुकर हो।
जिसकी छाँव में सपने देखूं, तुम ऐसा आँचल बन जाओ।
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१५.०८.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ।
बिना तुम्हारे पथ दुर्गम है, साथ चलो तुम बल बन जाओ।
सखी ये मेरी प्रेम तपस्या, उसी दिवस तो सफल बनेगी,
आज, अभी के साथ साथ तुम, अगर हमारा कल बन जाओ।
दीर्घकाल तक, जनम जनम तक, साथ तेरा पाना चाहता हूँ।
इस सृष्टि के हर युग में मैं, साथ तेरे आना चाहता हूँ।
तुम शब्दों की संवाहक बन, कविता की रचना कर देना,
और मैं बनकर कंठ सुरीला, भाव तेरे गाना चाहता हूँ।
दिवस, रात तुम साँझ, सवेरे, तुम्ही पहर, तुम पल बन जाओ।
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ ...
निशा में तुम हो धवल चन्द्रमा, और दिवस में तुम दिनकर हो।
तुम धरती की हरियाली में, इन्द्रधनुष का तुम अम्बर हो।
"देव" तुम्हारे कदम पड़े तो, आँगन में खुशियां आयीं हैं,
तुम फूलों की खुशबु में हो, तुम मीठी हो, तुम मधुकर हो।
जिसकी छाँव में सपने देखूं, तुम ऐसा आँचल बन जाओ।
सावन तुम बिन शुष्क शुष्क है, तुम वर्षा का जल बन जाओ। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१५.०८.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "