Saturday, 15 August 2015

♥कैसी आज़ादी...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥कैसी आज़ादी...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बेटी जब महफूज नहीं तो आखिर कैसी आज़ादी है। 
नाम पे मजहब के दंगे हैं, जगह जगह पे बर्बादी है। 
चंद अरबपतियों का होना, नहीं देश के सुख का सूचक,
आँख से परदे हटें तो देखो, भूखी कितनी आबादी है। 

बेटी जब अँधेरे में भी, सही सलामत घर आयेगी। 
उस दिन ही सच्चे अर्थों में, ये आजादी मिल पायेगी। 

सज़ा मिले क्यों बेगुनाह को, दूर पकड़ से उन्मादी है। 
आँख से परदे हटें तो देखो, भूखी कितनी आबादी है....

आज़ादी का मतलब देखो एक सूत्र में बंध जाना है।  
आज़ादी का मतलब घर घर दीपक जल जाना है। 
"देव" वतन में सबको रोटी, कपड़ा, घर भी है आज़ादी,
आज़ादी का मतलब देखो, भ्रष्ट तंत्र का मिट जाना है। 

रोजगार के बिन युवकों की, जीवन धारा अवसादी है। 
बेटी जब महफूज नहीं तो आखिर कैसी आज़ादी है। "

........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१५.०८.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "

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