Saturday, 27 July 2013

♥सावन की घटा..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥सावन की घटा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!
जिंदगी भूलके हर गम को, मुस्कुराती है!
देखता हूँ मैं उसे, जब नजर उठाकर के,
चांदनी लाज की हर ओर, बिखर जाती है!

बड़ी सुन्दर है वो, तितली की तरह प्यारी है!
जिंदगी उसने मेरी प्यार से, निखारी है!

रूह खुश होती है वो जब भी, गीत गाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है....

प्यार के रंग में जब, आदमी रंग जाता है!
हर एक इन्सां उसे, अपना सा नजर आता है!
"देव" मजहब की, ये जाति की खाई भर जाये,
प्यार के नूर से हर शख्श, संवर जाता है!

प्यार का दीप चलो, दिल में जलाकर देखें!
चलो रूठे हुए इन्सां को, मनाकर देखें!

मैं जो रूठूँ तो मुझे, प्यार से मनाती है!
बनके सावन की घटा मुझपे, वो जब छाती है!"


........,,,...चेतन रामकिशन "देव"............,,,,
दिनांक-२७.०७.२०१३