Tuesday, 22 April 2014

♥♥टूटा दिल है...♥♥

♥♥♥♥टूटा दिल है...♥♥♥♥♥
टूटा दिल है कठिन जवानी,
और आँख से बहता पानी!
हंसी ख़ुशी का मौसम लगता,
मानो कोई बात पुरानी!
किससे अपने दुख बांटू मैं,
सारी दुनिया है बेगानी!
अपने भी हैं नाम के अपने,
किसी ने मेरी तड़प न जानी!

लेकिन फिर भी ग़म से डरकर,
मैं जीते जी मर नहीं सकता!
सारी दुनिया की तरह मैं,
दिल को पत्थर कर नही सकता!

इसीलिए अपनी किस्मत से,
न छोड़ी उम्मीद लगानी!
अपने भी हैं नाम के अपने,
किसी ने मेरी तड़प न जानी...

सारे सपने टूट गए पर,
फिर मैंने आस रखी है!
कुछ करने की अपने दिल में,
मैंने हरदम प्यास रखी है!
"देव" तलाशा है ग़म में ही,
मैंने खुशियों की बूंदो को,
इसीलिए मैंने ये पीड़ा,
साँझ सवेरे पास रखी है!

हाँ दुनिया को समझ न पाया,
मेरे दिल की है नादानी!
अपने भी हैं नाम के अपने,
किसी ने मेरी तड़प न जानी! "

.....चेतन रामकिशन "देव"......
दिनांक-२२.०४.२०१४ 

♥♥प्यार के चार कदम...♥♥


♥♥♥♥♥प्यार के चार कदम...♥♥♥♥♥
क्या मेरे साथ यहाँ चार कदम चल दोगे!
क्या मेरी सूरत-ए-ग़म को यहाँ बदल दोगे!
क्या चरागों को जलाओगे तुम मेरी खातिर,
क्या अंधेरों को उजालों में तुम बदल दोगे!

प्यार का नाम महज, तन की प्यास होता नहीं! 
देखकर जुल्मो-सितम ये उदास होता नहीं!
प्यार की राह में कांटे भी हैं अंगारे भी,
प्यार बस फूलों का देखो लिबास होता नहीं!

क्या मेरे उजड़े बागवान को तुम जल दोगे!
क्या मेरे साथ यहाँ चार कदम चल दोगे!

क्या मेरी आँख के आंसू को तुम संभालोगे!
क्या मेरे पैर से कांटो को तुम निकलोगे!
"देव" सह लोगे क्या तुम मुझसे बिछड़ना खुद का,
या मेरे प्यार में बढ़कर के, मुझे पा लोगे!

क्या मुझे चैन सुकूं का, खिला कमल दोगे!
क्या मेरे साथ यहाँ चार कदम चल दोगे!"

...........चेतन रामकिशन "देव"...........
दिनांक-२२.०४.२०१४