Friday, 2 January 2015

♥प्रेम-संवाद...♥

♥♥♥♥प्रेम-संवाद...♥♥♥♥
निकट नहीं अवसाद रहेगा। 
जब अपना संवाद रहेगा। 
जीवन हो व्यतीत हर्ष में,
न कोई परिवाद रहेगा।

तुम मुझको भूषित कर देना। 
तुम क्षमता प्रेषित कर देना,
समस्याओं से घिरुं यदि तो,
मुझको ऊर्जा से भर देना। 
किसी क्षेत्र में तुम आगे हो,
किसी क्षेत्र में मैं प्रथम हूँ,
दोनों का बल युग्मित करके,
तुम उसको दोहरा कर देना।

प्रेम सफल हो जायेगा फिर, 
न कोई अपवाद रहेगा। 
जीवन हो व्यतीत हर्ष में,
न कोई परिवाद रहेगा...

बिन कारण के क्रोध न करना,
तथ्यों के संग बात बताना। 
नहीं वेदना, न मनमानी,
मेरे मन को नहीं दुखाना। 
मैं भी अपने कर्तव्यों का,
पालन तेरे लिये करूँगा,
मुझसे कोई गलती हो तो,
सही बात मुझको समझाना।

कठिन क्षणों का सरल बनाना,
न भ्रमित अनुवाद रहेगा। 
जीवन हो व्यतीत हर्ष में,
न कोई परिवाद रहेगा...

सखी शब्द का परिचय बनना,
मेरे गीतों की लय बनना। 
"देव" हमारा हाथ थामकर ,
संघर्षों की तू जय बनना। 
प्रेम भाव के पावन जल से,
ये कोमल मन धुल जायेगा।
न फिर कोई अड़चन होगी,
बंद मार्ग भी खुल जायेगा।

तुम संग न आवेश कोई भी,
न मन में उन्माद रहेगा। 
जीवन हो व्यतीत हर्ष में,
न कोई परिवाद रहेगा। "
.....चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक--०२.०१.१५