Sunday, 10 March 2013

♥♥सच का शिलालेख...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सच का शिलालेख...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कभी किसी के मन का दर्पण, तुम देखो खंडित न करना!
अपने साधन के हित में तुम, मिथ्या को मंडित न करना!
काम करो तुम ऐसा जिससे, मानवता को ठेस न पहुंचे,
तुम मानव से दानव बनकर, मानवता दंडित न करना!

भले झूठ की चाल हो गहरी, किन्तु उसकी मात हुई है!
सच की किरणें करें उजाला, फिर सुन्दर प्रभात हुई है!

ज्ञान से निर्धारण करना तुम, जात से तुम पंडित न करना!
कभी किसी के मन का दर्पण, तुम देखो खंडित न करना...

मन में सपने रखते हो तो, उन्हें सार्थक करना सीखो!
फूलों की इच्छायें हैं तो, काँटों पर भी चलना सीखो!
बस अम्बर की ओर देखकर, "देव" नहीं ऊंचाई मिलती,
यदि गगन को चाहते हो तो, उड़ने का बल भरना सीखो!

सच की बातें सच होती हैं, उनको थोथी नहीं समझना!
सदाचार की पुस्तक को तुम, केवल पोथी नहीं समझना!

सच से उभरे शिलालेख को, तुम देखो खंडित न करना!
तुम मानव से दानव बनकर, मानवता दंडित न करना!"

..................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-११.०३.२०१३



♥♥प्यार का गंगाजल..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार का गंगाजल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बेशक पूरा जीवन न दो, मगर मुझे तुम्हें कुछ पल दे दो!
जिससे हिम्मत बढ़े हमारी, तुम चाहत का वो बल दे दो!
देखो साथी बिना तुम्हारे, धूल गमों की चिपट रही है,
मैं भी पावन हो जाऊंगा, प्यार का तुम गंगाजल दे दो!

हाँ सच है के बिना तुम्हारे, यूँ तो मैं जिन्दा रहता हूँ!
पर ये भी तो झूठ नहीं के, भीतर से बेदम रहता हूँ!

आज भले ही ठुकरा दो पर, मुलाकात को तुम कल दे दो!
बेशक पूरा जीवन न दो, मगर मुझे तुम्हें कुछ पल दे दो....

तुम बिन साथी तन्हाई के, बादल मुझ पर मंडराते हैं!
तुम बिन मेरी आँखों से यूँ, पल पल आंसू झर जाते हैं!
बिना तुम्हारे आंच तड़प की, मेरे मन को झुलसाती है,
तुम बिन हम तो अँधेरे में, बच्चों जैसे डर जाते हैं!

रस्ता तुम बिन नहीं सूझता, कदमों को ठोकर मिलती है!
"देव" मैं कोशिश करता हूँ पर, तुम बिन ये किस्मत छलती है!

घनी मुश्किलों में उलझा हूँ, तुम मुझको इनका हल दे दो!
बेशक पूरा जीवन न दो, मगर मुझे तुम्हें कुछ पल दे दो!"

......................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१०.०३.२०१३