♥♥♥♥♥♥♥जीवन का भार.♥♥♥♥♥♥♥♥
जीवन का भार हंसके उठाने का दम भरो!
आकाश को धरती पे झुकाने का दम भरो!
भगवान के दरबार में तुम जाने से पहले,
रोते हुए इन्सां को, हंसाने का दम भरो!
मजहब की लड़ाई से भला क्या मिला कभी,
तुम प्यार के अल्फाज सिखाने का दम भरो!
नेताओं तुम अपनी ही तिजोरी न भरो बस,
तुम देश को धनवान बनाने का दम भरो!
मैं "देव" हूँ लेकिन मुझे पाषाण न कहो,
पत्थर में भी तुम फूल खिलाने का दम भरो!"
......... (चेतन रामकिशन "देव") ............