Sunday 21 October 2012

♥मन की उर्जा.♥


♥♥♥♥मन की उर्जा.♥♥♥♥
मन में उर्जा धारण करके, 
लक्ष्यों का निर्धारण करके!

अपने मन की घोर निराशा, 
तुम साहस से आहरण करके!

जिस दिन अपने जीवन में तुम, 
सही दिशा को तय कर लोगे!

त्याग के अपनी अनिद्रा को, 
दिनचर्या में लय कर लोगे!

उस दिन तुमको ही निश्चित ये,
जीवन पथ आसान लगेगा,

जीवन में आयेंगी खुशियाँ,
तुम मंजिल पे जय कर लोगो!

पीड़ा को तुम बह जाने दो,
नहीं रखो अधिकारण करके! 

मन में उर्जा धारण करके,
लक्ष्यों का निर्धारण करके!"

..(चेतन रामकिशन "देव")..



♥♥♥♥♥♥♥♥ग़म की गर्द..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आँखों से अश्क बहते हैं और दिल में दर्द है!
जीवन में जाने छाई क्यूँ ये ग़म की गर्द है!

अनजाने में समझा था जिसे रूह का साथी,
वो जिस्म का भूखा है, बड़ा प्यासा मर्द है!

मुफ़लिस के हक में खुशियों की आवो-हवा कहाँ,
गरमी है, सुनामी है, ये मौसम भी सर्द है!

अपनों ने की दगा तो ये सांसें उखड़ गयीं,
पथराई सी आंखें हैं, ये चेहरा भी ज़र्द है!

दुश्मन से मुझे "देव" है कोई गिला नहीं,
अपनी ही शराफत पे, मुझे आता अर्द है!"

.............(चेतन रामकिशन "देव")..........
(अर्द-क्रोध, ज़र्द-लगभग पीला, गर्द-धूल)