♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन का ध्येय.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तपिश धूप की हो कितनी पर, छाया की उम्मीद न खोना!तुम अपनी मंजिल पाने को, कभी झूठ के बीज न बोना!
कभी किसी की मज़बूरी का, न उपहास उड़ाना यारों,
और किसी लाचार के खूं से, अपने हाथ कभी न धोना
इस जीवन में हार जीत तो, सिक्के के दो पहलु जैसी,
अगर हार भी मिल जाये तो, फूट फूट कर तुम न रोना!
निद्रारत लोगों को जग में नहीं सफलता मिल पाती है,
अपनी मेहनत और लगन से, तुम मिटटी को कर दो सोना!
"देव" जिंदगी के आँचल में, गहरे गहरे ज़ख्म छुपे हैं,
लेकिन ज़ख्मों से भय खाकर, भूले से भी धेर्य न खोना!"
............."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"........