Friday, 20 December 2013

♥♥♥रहें न रहें♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥रहें न रहें♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे अल्फाज़ सजा लो, के हम रहें न रहें!
मुझे सीने से लगा लो, के हम रहें न रहें!

याद करना तो मुझे तुम न बहाना आंसू,
मेरे जज़्बात चुपाने को कहें या न कहें!

तुम्हें अनदेखा करूँ तो न गिला करना तुम,
मैं हूँ पत्थर मेरे आंसू ये बहें या न बहें!

जिनके माँ बाप ने मुश्किल से जिन्हे पाला है,
उनके बच्चे भला मुश्किल को सहें या न सहें!

झोपड़ी पल में गरीबों की, गिरा दी जायें,
और ये कब्जे अमीरों के, ढहें या न ढहें!

अपनी यादों को मेरी, ग़ज़लों से अलग न करो,
मेरे ये लफ्ज़ बिना तेरे, रहें या न रहें!

"देव" हम खानाबदोशों का यही जीवन है,
हैं जहाँ आज वहाँ कल में, रहें या न रहें!"
   
........चेतन रामकिशन "देव"…......
दिनांक-२०.१२.२०१३