Wednesday 15 May 2013

♥♥गमों की धूप...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥गमों की धूप...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
एहसासों की कोमलता को, पल में जब कुचला जाता है!
और गमों की धूप से जलकर, जब उपवन कुम्हला जाता है!
जब रो रो कर नयन के नीचे, काले घेरे पड़ जाते हैं,
जब काँटों के रस्ते पर भी, नंगे पग निकला जाता है!

अपने जब बेगाने बनकर, दुश्मन लोगों से मिल जाते!
तो जीवन में बिन पानी के, नए नवेले गम खिल जाते! 
दुख के कारण जब जीवन का, पल पल सदियों जैसा लगता,
जब जीवन की हंसी ख़ुशी में, ये खारे आंसू घुल जाते!

ऐसे दुख के हालातों में, जीवन पथ दुर्गम होता है!
झोली में भी नहीं सिमटता, इतना सारा गम होता है!
लेकिन फिर भी "देव" जहाँ में, जो गम देखो सह जाते हैं,
उन लोगों के जीवन में ही, कुछ करने का दम होता है!

तभी तजुर्बा मिलता जग में, जब गिरकर संभला जाता है!
एहसासों की कोमलता को, पल में जब कुचला जाता है!"

....................चेतन रामकिशन "देव".....................
दिनांक-१५.०५.२०१३