Tuesday 5 July 2011


♥♥याचना और अधिकार ♥♥

♥♥♥♥याचना और अधिकार ♥♥♥♥♥♥
"याचना त्याग दो, प्रार्थना त्याग दो!
अब गुलामी भरी, भावना त्याग दो!
सोच संघर्ष कि मन में भरके जरा,
बैठकर पाने की, कामना त्याग दो!

याचना से अधिकार मिलते नहीं!
शासकों के ह्रदय भी पिघलते नहीं!
याचना का कहाँ, फिर रहा लाभ है,
उनके नयनों से, अश्रु निकलते नहीं!

दास बनकर नहीं कुछ मिलेगा कभी!
ना सुमन कोई पथ में, खिलेगा कभी!
याचना की यहाँ "देव" सुनता नहीं,
कोई शासक तेरा हक, ना देगा कभी!

"याचना मुक्त होने को चिंतन करो!
अपनी शक्ति के भावों का मंथन करो!"

देव साहब, क्या सही लिखा आपने! आप जो भी लिखते हो, वो सत्यता की कसौटी पर खरा होता है! धन्यवाद आपका!"