Wednesday 24 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥आम आदमी(क्रांति का दूत)♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आम आदमी नींद से जागो, तुम्ही क्रांति ला सकते हो!
तुम ही फिर से आजादी के, दीपक यहाँ जला सकते हो!

खुद को दीन समझना छोड़ो, हमे जुल्म से टकराना है!
लूट मार की हमें न चाहत, हमको अपना हक पाना है!
हमको अपनी रगों का देखो, खून गर्म करना ही होगा,
शीश झुकाने से अच्छा तो, रण भूमि में मर जाना है!

देश के काले अंग्रेजों की, तुम ही नींव हिला सकते हो!
आम आदमी नींद से जागो, तुम्ही क्रांति ला सकते हो...

शोषण करने वालों का डर, अपने जीवन में न भरना!
अपना मन निर्भीक बनाकर, युद्ध कला को विकसित करना!
रणभूमि में बिगुल बजाकर, तुम करना आरम्भ युद्ध का,
तुम शत्रु की फौज देखकर, अणु बराबर भी न डरना!

तुम उर्जा के वाहक बनकर, हिम के पिंड गला सकते हो!
आम आदमी नींद से जागो, तुम्ही क्रांति ला सकते हो...

किन्तु जब तक सोए हो तुम, तब तक मुक्त नहीं हो सकते!
रहोगे यूँ ही सहमे सहमे, साहस युक्त नहीं हो सकते!
"देव" यदि स्वीकार्य है तुमको, यही गुलामी इस जीवन में,
तो तुम केवल दीन रहोगे, शक्ति पुंज नहीं हो सकते!

तुम शक्ति पहचानो अपनी, गगन को भू पर ला सकते हो!
आम आदमी नींद से जागो, तुम्ही क्रांति ला सकते हो!"

"
देश में लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने वाले, आम जनों को जात धर्म की आग और महंगाई की तपिश में झोंकने वाले, सफेदपोशों से मुकाबला करना है तो, आम आदमी को नींद से जागना होगा, अपनी सुप्त अवस्था से मुक्ति पाकर, क्रांति का अग्रदूत बनना होगा..तभी आम आदमी को उसके अधिकारों की प्राप्ति हो सकेगी!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२५.१०.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!


♥♥♥♥♥♥गम का दीदार.♥♥♥♥♥♥♥
गम का बड़े करीब से दीदार किया है!
हाँ मैंने भी दुनिया में कभी प्यार किया है!

मेरे लफ्जों में देखो नहीं कोई भी बनावट,
अश्कों से मैंने लफ्जों का सिंगार किया है!

अब रंग सियासत का भी चौखा हुआ यारों,
नेताओं ने जब से इसे बाजार किया है!

जिस शख्स को चाहती रही, वो पूजती रही,
उसने ही तो इज्ज़त को तार-तार किया है!

वो लोग मुझे "देव" बहादुर नहीं लगे,
जिन लोगों ने पीछे से, मुझपे वार किया है!"

.............(चेतन रामकिशन "देव")............