************आज के राधा कृष्ण****************
"कृष्ण बनकर गोपियों की राह बस तकने लगे हैं!
दिन में फिरते मारे मारे, रात को जगने लगे हैं!
ना ही करते गाय सेवा, याद ना गीता कथन,
आजकल के नौजवां बस प्यार तक थमने लगे हैं!
न "यशोदा" याद उनको और "नंदन" नाम भी!
दे रहे माँ बाप को हैं, पीड़ा भी, इल्जाम भी!
भूलकर हर एक सखा को, राधा बस जपने लगे हैं!
कृष्ण बनकर गोपियों की राह बस तकने लगे हैं......
न "सुदामा" के लिए अब, द्वार उनके खुल रहे हैं!
न विषैली सोच के ही, दाग धब्बे धुल रहे हैं!
अपनापन भी मिट रहा है, और मानवता नहीं,
मन में ईर्ष्या, द्वेष के ही, रंग केवल घुल रहे हैं!
आज कल के कृष्ण केवल, नाम के ही रह गए हैं!
न रहा एहसास बस, पाषाण के ही रह गए हैं!
आज कल के कृष्ण तो, खुद झूठ पे चलने लगे हैं!
कृष्ण बनकर गोपियों की राह बस तकने लगे हैं.....
आजकल की राधिका भी, छोटे कपड़े तान कर!
सड़को पे चलते हुए भी, फ़ोन रखतीं कान पर!
इन ढलकते आंचलो को, कह रहीं स्वतंत्रता,
अपने आदर्शों में केवल, "मल्लिका" को मानकर!
आज कल की राधिका भी, पथ से हटती जा रही है!
हो रहा नैतिक पतन, मर्यादा घटती जा रही है!
प्रेम के सन्देश भी अब वासना बनने लगे हैं!
कृष्ण बनकर गोपियों की राह बस तकने लगे हैं!"
"मित्रों, आजकल यही हाल है, लड़के कृष्ण से बस प्रेम सीख रहे हैं और लड़कियां राधा से! न उन्हें देवकी याद है, न वासुदेव! न शत्रु का संहार! न ही प्रजा का कर्तव्य, न ही देश की भक्ति! -चेतन रामकिशन "देव"