Monday 17 February 2014

♥♥कुछ खोने को ♥♥♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥कुछ खोने को ♥♥♥♥♥♥♥♥♥
कुछ खोने को शेष नहीं है, कुछ पाने को रहा नहीं है!
बाकि ऐसा दर्द न कोई, जिसको मैंने सहा नहीं है!
गालों तक ढलके हैं आंसू, दिल रोया है फूट फूट के,
आज तलक मेरी आँखों से, इतना पानी बहा नहीं है!

मगर वक़्त की चाल के आगे, मैं बेबस क्या कर सकता हूँ!
एक दिन जीत मिलेगी मुझको, यही भरोसा कर सकता हूँ!

चुप होकर के गम सहता हूँ, किस्मत से कुछ कहा नहीं है! 
कुछ खोने को शेष नहीं है, कुछ पाने को रहा नहीं है!

आस नहीं तोड़ी है मैंने, लेकिन कौशल झुलस रहा है!
इस जीवन की पगडंडी पर, दुख का बादल बरस रहा है!
"देव" न जाने कब किस्मत से, खुशियों की सौगात मिलेगी,
एक अरसे से मेरा ये दिल, जिन खुशियों को तरस रहा है!

उम्मीदों के तिनके चुनकर, टूटा फूटा घर जोड़ा है!
नहीं पता के मेरी खातिर, वक़्त ने आखिर क्या छोड़ा है!

एक सपना भी नहीं है ऐसा, जो जीवन में ढ़हा नहीं है!
कुछ खोने को शेष नहीं है, कुछ पाने को रहा नहीं है!"

..........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-१७.०२.२०१४