Sunday 17 July 2011

♥♥प्रेम (खंडित ह्रदय)♥♥

♥♥♥♥♥♥♥प्रेम (खंडित ह्रदय)♥♥♥♥♥
"मन में अश्रुधार बह रही, ह्रदय के खंडित तार!
 जब से तूने किया है विस्मृत, मेरा सच्चा प्यार!
पथ में यूँ तो चलते फिरते, मिल जाते हैं लोग,
किन्तु तुम बिन नीरस- नीरस, हुआ मेरा संसार!

प्रेम में ह्रदय खंडना से तो, मिलता है आघात!
दिन भी पीड़ित हो जाता है, पीड़ित होती रात!

तुमने हमको दिया है साथी, पीड़ा का उपहार!
मन में अश्रुधार बह रही, ह्रदय के खंडित तार......

साथ निभाने की जीवन भर, टूट गयी सौगंध!
रक्त की धारा धीमी है , ह्रदय की कंपन मंद!
इस घातक पीड़ा का जग में, होता ना उपचार,
कितने भी प्रयास करो तुम, ना मिलता आनंद!

प्रेम के ऐसे छन करते हैं, जीवन में व्यवधान!
उत्साहों पे लगता अंकुश,धूमिल हो उत्थान!

टूट गयी मोती की माला, छूट गया श्रंगार!
मन में अश्रुधार बह रही, ह्रदय के खंडित तार......

प्रेम तो भावों का सागर है, स्वार्थ से नाता तोड़ो!
होता है अनमोल बहुत ये, इसको तुम ना छोड़ो!
जीवन में यदि प्रेम नहीं तो, "देव" भी होते पत्थर,
जीवन भर जो खंडित ना हो, ऐसा नाता जोड़ो!

प्रेम तो जीवन का निर्माता,नहीं करो अपमान!
प्रेम तो तुलसी की वाणी है, प्रेम का नाम कुरान!

प्रेम तो दीपों की माला है, नहीं कोई तलवार!
मन में अश्रुधार बह रही, ह्रदय के खंडित तार!"

"प्रेम, जीवन की आवश्यकता होती है! प्रेम, में ह्रदय खंडना से, व्यक्ति की मनोदशा प्रभावित होती है! उसके आत्म विश्वास में भी कमी आती है और वेदना से उसकी सफलता और लक्ष्य निर्धारण पर भी प्रभाव पड़ता है! तो आइये किसी को प्रेम में इस पीड़ा को देने से पहले सोचें- चेतन रामकिशन"देव"