♥♥♥♥वार...♥♥♥♥♥♥
तबाह हो न सके हम, तो हमें मार दिया।
मोहब्बत ईश्क़ का रिश्ता भी दरकिनार किया।
जंग होती जो सामने से, हम भी लड़ लेते,
मगर उस शख़्स ने, पीछे से हमपे वार किया।
सुनो अब टूट गयी, हर कड़ी वफाओं की,
जुर्म उसका था मगर, मुझको गुनहगार किया।
उदास रात है, रिसते हुए खूं की टपकन,
तीर कसकर के मेरे दिल के आरपार किया।
' देव' उम्मीद है, शायद सुकून मिल जाए,
आग का दरिया तो हंसकर के हमने पार किया। "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- ०९.०८.२०१७
तबाह हो न सके हम, तो हमें मार दिया।
मोहब्बत ईश्क़ का रिश्ता भी दरकिनार किया।
जंग होती जो सामने से, हम भी लड़ लेते,
मगर उस शख़्स ने, पीछे से हमपे वार किया।
सुनो अब टूट गयी, हर कड़ी वफाओं की,
जुर्म उसका था मगर, मुझको गुनहगार किया।
उदास रात है, रिसते हुए खूं की टपकन,
तीर कसकर के मेरे दिल के आरपार किया।
' देव' उम्मीद है, शायद सुकून मिल जाए,
आग का दरिया तो हंसकर के हमने पार किया। "
.....चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक- ०९.०८.२०१७