♥♥♥♥♥♥♥♥माँ(एक वटवृक्ष)♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दुनिया में कोई माँ की जगह ले नहीं सकता!
कोई माँ की तरह प्यार हमे दे नहीं सकता!
यूँ तो हजारों रिश्ते हैं, जीवन के सफर में,
पर माँ की तरह कोई दुआ दे नहीं सकता!
माँ प्रेम की गंगा है माँ प्रेम की जमुना!
माँ के अटूट प्रेम की होती नहीं तुलना!
माँ की तरह दुलार कोई दे नहीं सकता!
दुनिया में कोई माँ की जगह ले नहीं सकता...
माँ प्रेम की देवी है, माँ स्नेह की परी!
माँ की मधुर पुकार भी स्नेह से भरी!
माँ दीप की ज्योति की तरह रौशनी देती,
माँ ने ही अपने दूध से ये चेतना भरी!
माँ प्रेम का प्रकाश है, माँ प्रेम की किरण!
माँ रखती है हम पर सदा ममता का आवरण!
माँ की तरह बहार कोई दे नहीं सकता!
दुनिया में कोई माँ की जगह ले नहीं सकता...
माँ जब भी अपनों बच्चों को सीने से लगाये!
जिस ओर भी देखो, वहीँ ममता नजर आये!
सुन "देव" माँ का प्यार है, बेहद ही सुगन्धित,
माँ की छवि में रहते हैं, भगवान के साये!
माँ प्रेम का भंडार है, माँ प्रेम का सागर!
खुश हो नही पाओगे कभी माँ को सताकर!
माँ की तरह विचार कोई दे नहीं सकता!
दुनिया में कोई माँ की जगह ले नहीं सकता!"
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माँ, एक दिव्यशक्ति, ममता का सागर, प्रेम का नीला आसमान, दुलार की सरिता, अपनत्व की ज्योति, सचमुच माँ अनमोल है! जीवन पथ में अनेकों संबंधों के पश्चात भी माँ का सम्बन्ध प्रमुख इसीलिए है क्यूंकि हम माँ से हैं, रिश्ते माँ से उपजे हैं..माँ वटवृक्ष है और हम मात्र शाखायें..आइये माँ को नमन करें!"
"अपनी दोनों माताओं माँ कमला जी और माँ प्रेम लता जी को समर्पित रचना"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-३०.१०.२०१२
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!