♥♥♥♥♥♥♥♥आपकी निकटता ♥♥♥♥♥♥♥♥
निकटता आपकी पाकर मेरा मन हर्ष पाता है!
तुम्हारी बाहों में आकर मेरा दिल गुनगुनाता है!
जो तुम मेरी निगाहों से जरा भी दूर जाती हो!
कसम से कह रहा हूँ मैं, बड़ा ही याद आती हो!
मुझे मालूम है के तुम भी मेरे बिन अधूरी हो,
मेरी तस्वीर तुम भी अपने सीने से लगाती हो!
उधर दिल आह भरता है, इधर आंसू बहाता है!
निकटता आपकी पाकर मेरा मन हर्ष पाता है!"
............. (चेतन रामकिशन "देव") ...............
No comments:
Post a Comment