Tuesday, 2 October 2012


♥♥♥♥♥♥यादें(अतीत का दर्पण)♥♥♥♥♥♥♥
याद एक रोज बहुत, तुमको मेरी आएगी!
बीते लम्हों की झलक, तुमको भी रुलाएगी!
तुमको याद आयेंगे, जब मेरी आंख के आंसू,
तो तुम्हारी भी आंख, अश्क से भर जाएगी!

भूल से भी तुम्हें बदनाम, मगर करता नहीं!
आपकी तरह झूठ को, सलाम करता नहीं!

झूठ की दुनिया, कब तलक यूँ जगमगाएगी!
याद एक रोज बहुत, तुमको मेरी आएगी....

रूह का रिश्ता भी, पल भर में मिटाया तुमने!
अपने ही हाथ से घर अपना, जलाया तुमने!
तुम तो कहते थे के, रिश्ता है सात जन्मों का,
और कुछ लम्हों में, हर रिश्ता भुलाया तुमने!

भरी दुनिया में मुझे, तनहा तुमने छोड़ दिया!
बड़ी बेदर्दी से दिल, तुमने मेरा तोड़ दिया!

मेरे दिल की ये आह, तुमको भी तड़पाएगी!
याद एक रोज बहुत, तुमको मेरी आएगी....

प्यार में मैं नहीं, हम बनके जिया जाता है!
आंसू एक दूजे का हंसकर के पिया जाता है!
"देव" हैं प्यार में, कुर्बानियां बहुत सारी,
उनका इल्जाम तक, सर अपने लिया जाता है!

प्यार के बिन तो ये संसार बस पराया है!
कहाँ नफरत से भला. कुछ यहाँ मिल पाया है!

प्यार के बिन तो ये, दुनिया भी सिमट जाएगी!
याद एक रोज बहुत, तुमको मेरी आएगी!"

" यादें-किसी के चले जाने के बाद भी, उसकी मौजूदगी को हमारे दिल में जिन्दा रखती हैं! कोई व्यक्ति भले ही हमारे प्रेम, हमारे अपनत्व का अंत करके चला जाये, किन्तु यादें उसे भी एक रोज जाकर बीते लम्हों की झलक दिखाती हैं! "

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०३.०१०.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥चलें निखरने.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो रात की बाहों में हम, सपनो को आगोश में भरने!
कुछ जाने, अपने लोगों से, प्यार भरी दो बातें करने!
उनके बाजु पर सर रखकर, सुननें कोई गीत-कहानी,
धवल चांदनी में चंदा की, आओ चलें हम लोग निखरने!"

....."शुभ-रात्रि".............चेतन रामकिशन "देव"...........