Sunday 30 December 2012

♥संग्राम( सम्मान का आहवान)♥


♥♥♥♥♥संग्राम( सम्मान का आहवान)♥♥♥♥♥♥
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से!
नहीं हारनी होगी हिम्मत, अब ऐसे अत्याचारों से!

तुमको ज्वाला बनना होगा, तुम्हे युद्ध करना ही होगा!
तुमको अपनी रगों में देखो, गर्म लहू भरना ही होगा!
यदि नहीं जागी तू अब भी, तो संग्राम नहीं हो सकता,
इसी तरह फिर चोराहे पर, तुझको यूँ मरना ही होगा!

रणभूमि में उतर जा अब तू, धार लगाकर तलवारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से....

तुमको अपनी शक्ति से अब, गौरवगाथा लिखनी होगी!
नहीं सरलता कोई समझता, दंड की भाषा लिखनी होगी!
तुम नारी हो, तुम मानव हो, तुम कोई पाषाण नहीं हो,
तुमको अब जीवित होने की, ये परिभाषा लिखनी होगी!

हमको लोहा लेना होगा, ऐसे मैले घातक किरदारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से....

न नव वर्ष मनाने भर से, ये उत्पीड़न नहीं थमेगा!
इस तरह से दुःख में रहकर, उर्जा सेतु नहीं बनेगा!
नए साल के नए दिवस में, तुम संकल्प जगाओ मन में,
नया साल का दिवस ये पहला, एक क्रांति दिवस बनेगा!

नहीं संकुचित होना है अब, "देव" नमक की बोछारों से!
घर में क़ैद नहीं होना है, डरकर के इन गद्दारों से!"

"
नारी-शक्ति का संचार करना ही होगा तुम्हे, ये राम राज नहीं है,
ये सतयुग भी नहीं है, ये तो ऐसा युग है जहाँ, मानव की शक्ल में 
भेड़िये घूमते हैं, नर पिशाच घूमते हैं..तो आइये नए साल के प्रथम दिवस को क्रन्ति उर्जा दिवस के रूप में मनाकर..शक्ति का विस्तार करें.."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-३१.१२.२०१२ 

"उक्त रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित"