♥♥♥♥♥♥♥घोंसले...♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो पेड़ों पे नए, घोंसले बनाते हैं!
चलो आकाश से कुछ, तारे तोड़ लाते है!
सब्र से काम लो तुम, हार से नहीं डरना,
दीये उम्मीद के एक रोज, जगमगाते हैं!
रूह का नूर तो हर वक़्त ही कायम रहता,
हाँ मगर जिस्म यहाँ, खाक में मिल जाते हैं!
उनका ही नाम सारे, जग को रौशनी देता,
जिनके अश्कों को भी, हंसने के हुनर आते हैं!
चंद सिक्कों के लिए, खुद का ईमां मत बेचो,
लोग एक पल में ही, नजरों से उतर जाते हैं!
नहीं मंदिर, नहीं मस्जिद की जरुरत उनको,
अपने माँ बाप के आगे, जो सर झुकाते हैं!
"देव" अश्कों से मेरी, दोस्ती बड़ी गहरी,
मैं जो रोता हूँ तो ये, मुझको चुप कराते हैं!"
.........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१९.०७.२०१३