Saturday, 17 August 2013

♥♥माँ का दुलार...♥♥


♥♥♥♥♥♥माँ का दुलार...♥♥♥♥♥♥♥♥
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!
शब्द ममता से तेरी, अलंकृत हुए!
मुश्किलों से मैं अब, हंसके लड़ता हूँ माँ,
बल तेरी ही दुआओं से, अर्जित हुए!

माँ के जैसा जहाँ में, नहीं कोई है!
बिन सुलाए मुझे, माँ नहीं सोई है!

फूल उपवन के माँ को, समर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए…

माँ सदा उन्नति का ही, वरदान दे!
अपनी संतान के मुख पे, मुस्कान दे!
"देव" माँ अपने बच्चों की, प्रथम गुरु,
अपनी संतान को, सत्य का ज्ञान दे!

माँ के दिल को कभी, तुम दुखाना नहीं!
माँ की आँखों से आंसू, बहाना नहीं!

शब्द मेरे सभी माँ को, अर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!"

........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१७.०८.२०१३