Saturday, 7 January 2017

♥तुम्हारी सूरत...♥

♥♥♥♥♥♥तुम्हारी सूरत...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
शायरी करने लगा दिल तुम्हारी सूरत पर,
खुदा ने बख़्शा है, जो हुस्न बेहिसाब तुम्हे। 

सोचता हूँ तुम्हे कह दूँ कोई परी हमदम,
ये भी हसरत है के, लिखूं मैं माहताब तुम्हे। 

जिंदगी जब भी तेरी दर्द में, ख़लिश में हो,
सोंप दूँ आके सनम, अपने सभी ख़्वाब तुम्हे। 

क्या है ज़ुर्रत जो अँधेरे की चाल कोई चले,
कुदरती नूर कहूँ और मैं आफ़ताब तुम्हे। 

चाहता हूँ तुम्हे मिलना, के न जुदाई हो,  
इसी उम्मीद में भेजूं, खिला गुलाब तुम्हे। 

ख्वाहिशें हैं तेरे होठों की दुआ बन जाऊं,
ऐसा कुछ भी न करूँ, जो लगे ख़राब तुम्हे। 

मेरे लफ़्ज़ों के तस्सुवर में "देव" तू ही तू,
देखना चाहूं सनम खुश, मैं कामयाब तुम्हें। "

दिनांक- ०७.०१.२०१७  

(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )