♥♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारे हाथ की छुअन...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!
तेरे प्यार में बनके दीपक, घने तिमिर में जलना चाहूं!
निशा दिवस के हर लम्हे में, सखी तुम्ही से मिलना चाहूं,
छुअन तुम्हारे हाथ की पाकर, मैं फूलों सा खिलना चाहूं!
तुमसे ही अभिषेक हमारा और तुम्ही से अभिनंदन है!
सखी तुम्हारी एहसासों से, मेरे दिल में स्पंदन है!
तेरे प्यार की नरम धूप को, मैं चेहरे पे मलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं....
हम दोनों आपस में मिलकर, जीवन पथ तैयार करेंगे!
साथ खुशी को बाँटेंगे हम, कांटे भी स्वीकार करेंगे!
"देव" सदा हम एक दूजे का, प्रेम निहित सत्कार करेंगे,
हम दोनों एकजुट होकर के, हर मुश्किल को पार करेंगे!
यदि जलाशय न होगा तो, अपने आंसू पी लेंगे हम!
एक दूजे के ज़ख्मों को भी, प्यार-वफ़ा से सी लेंगे हम!
मेरी सांस में घुल जाओ, मैं तेरी सांस में घुलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!"
...............चेतन रामकिशन "देव"…............
दिनांक-०५.१२.२०१३
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!
तेरे प्यार में बनके दीपक, घने तिमिर में जलना चाहूं!
निशा दिवस के हर लम्हे में, सखी तुम्ही से मिलना चाहूं,
छुअन तुम्हारे हाथ की पाकर, मैं फूलों सा खिलना चाहूं!
तुमसे ही अभिषेक हमारा और तुम्ही से अभिनंदन है!
सखी तुम्हारी एहसासों से, मेरे दिल में स्पंदन है!
तेरे प्यार की नरम धूप को, मैं चेहरे पे मलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं....
हम दोनों आपस में मिलकर, जीवन पथ तैयार करेंगे!
साथ खुशी को बाँटेंगे हम, कांटे भी स्वीकार करेंगे!
"देव" सदा हम एक दूजे का, प्रेम निहित सत्कार करेंगे,
हम दोनों एकजुट होकर के, हर मुश्किल को पार करेंगे!
यदि जलाशय न होगा तो, अपने आंसू पी लेंगे हम!
एक दूजे के ज़ख्मों को भी, प्यार-वफ़ा से सी लेंगे हम!
मेरी सांस में घुल जाओ, मैं तेरी सांस में घुलना चाहूं!
बहुत कठिन है ये जीवनपथ, साथ तुम्हारे चलना चाहूं!"
...............चेतन रामकिशन "देव"…............
दिनांक-०५.१२.२०१३