Tuesday, 10 January 2012

♥क्यूंकि उसका नाम है लड़की.....♥

♥♥♥♥♥♥♥क्यूंकि उसका नाम है लड़की.....♥♥♥♥♥♥♥
भेदभाव की आग में जलती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!
कभी भ्रूण के रूप में मरती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!
आज भी उसकी जीवन धारा का रुख, उसके हाथ नहीं है,
औरो के नियमों में चलती,क्यूंकि उसका नाम है लड़की!

अपने मन की आवाजों को भी, अधरों के द्वारे न लाती!
कमरे के इक कोने में जाकर, चुपके चुपके नीर बहाती!

झूठ-मूठ की हँसी में फिरती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!
भेदभाव की आग में जलती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की.....

सारे कुल की मर्यादा का, बोझ उसी के सर होता है!
खुद मर्जी से उड़ न पाए, पिंजरे जैसा घर होता है!
फूंक-२ के कदम रखे वो, रहती है सहमी सहमी सी,
अपने अरमानों को मारे, जाने कैसा डर होता है!

आसमान की तरफ देखकर, वो केवल अफ़सोस जताए!
घर के भीतर इतनी बंदिश, मन ही मन वो रोष जताए!

अश्कों को आँखों में भरती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!
भेदभाव की आग में जलती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की.....

जाने कब तक नन्ही लड़की, भ्रूण रूप में मौत सहेगी!
जाने कब तक नन्ही लड़की, इन आँखों में नीर भरेगी!
"देव" न जाने कब तक उसको अन्यायों के शूल चुभेंगे,
जाने कब तक नन्ही लड़की, इच्छाओं का दमन करेगी!

इतने सारे विष को पीकर, कभी किसी को बुरा न कहती!
मर्यादा के नाम पे लड़की, जुल्मों को भी चुप चुप सहती!

झूठ-मूठ की हँसी में फिरती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!
भेदभाव की आग में जलती, क्यूंकि उसका नाम है लड़की!"


"लड़की---कभी भ्रूण के रूप में मार दी जाती है तो, कहीं वो मर्यादाओं के नाम पर,
घर में ही कैद कर ली जाती है! लड़की की ये बेबसी, ये लाचारी जाने कभी समाप्त होगी भी या नहीं, या फिर वो ऐसे ही ...........मिटती रहेगी, बुझती रहेगी?

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--१०-०१-२०१२