♥♥♥♥♥♥♥चाँद ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चाँद हो तुम मेरी नज़र के लिये।
तुम ही रौनक हो मेरे घर के लिये।
तुम उजाला हो, रौशनी की किरण,
तुम ही सजदा हो, मेरे सर के लिये।
तेरे होने से, मैं रचूँ कविता,
तू जरुरी है के, बहर के लिये।
जिंदगी तेरे बिन अपाहिज सी,
तुम ही ख्वाहिश हो, रहगुजर के लिये।
चंद लम्हों का साथ कम लगता,
मेरी हो जाओ, उम्र भर के लिये।
रात के ख्वाबों का मिलन तुम हो,
तुम ही सूरज हो के, सहर के लिये।
"देव" तुम बिन है रास्ता तन्हा,
साथ हो जाओ तुम, सफ़र के लिये। "
..........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-०२.०७.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
चाँद हो तुम मेरी नज़र के लिये।
तुम ही रौनक हो मेरे घर के लिये।
तुम उजाला हो, रौशनी की किरण,
तुम ही सजदा हो, मेरे सर के लिये।
तेरे होने से, मैं रचूँ कविता,
तू जरुरी है के, बहर के लिये।
जिंदगी तेरे बिन अपाहिज सी,
तुम ही ख्वाहिश हो, रहगुजर के लिये।
चंद लम्हों का साथ कम लगता,
मेरी हो जाओ, उम्र भर के लिये।
रात के ख्वाबों का मिलन तुम हो,
तुम ही सूरज हो के, सहर के लिये।
"देव" तुम बिन है रास्ता तन्हा,
साथ हो जाओ तुम, सफ़र के लिये। "
..........चेतन रामकिशन "देव"………
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