Tuesday, 8 October 2013

♥♥ऐतबार ....♥♥

♥♥♥♥♥ऐतबार ....♥♥♥♥♥
बेकरारी में भी करार रखो!
होंसला अपना बरक़रार रखो!

जो सिखाया है बुजुर्गों ने हमें,
हर घड़ी उनकी यादगार रखो!

चाहें दुख हो, या गमों के आंसू,
अपने चेहरे को खुशगवार रखो!

हर एक इन्सां यहाँ पे अपना है,
न ही रंजिश, नहीं दीवार रखो!

बाद मरने के लोग याद करें,
अपने सीने में इतना प्यार रखो!

प्यास से मरते हुए मुफलिस को,
बारिशों सी हसीं फुहार रखो!

"देव" मिल जाएगी हर एक मंजिल,
हाँ मगर, खुद पे ऐतबार रखो!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-०९.१०.२०१३





♥♥आफ़्ताब....♥♥

♥♥♥♥♥आफ़्ताब....♥♥♥♥♥
तुम किसी आफ़्ताब जैसे हो!   
मेरी आँखों के ख्वाब जैसे हो!

तुमको पढ़कर के मेरा दिल न भरे,
प्यार की इक किताब जैसे हो!

देखो इतने बड़े जहाँ में तुम,
कुदरती एक ख़िताब जैसे हो!

मेरे लफ्जों की जिंदगानी में,
नूर का एक बहाव जैसे हो!

न ही मुश्किल, के नहीं बोझ कोई,
उँगलियों के हिसाब जैसे हो!

देखकर तुमको मैं महक जाऊं,
एक खिलते गुलाब जैसे हो!

"देव" एहसास की मोहब्बत में,
रेशमी एक लगाव जैसे हो!"

.….चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-०८.१०.२०१३