♥♥♥♥♥सूखे बाग़...♥♥♥♥♥
बंद कमरा, मकान खाली है।
बाग़ सूखे, उदास माली है।
प्यार किससे करूँ, बता तो सही,
आज हर दिल में तंगहाली है।
मुझको झाडी में फ़ेंक या अपना,
जान क़दमों में तेरे डाली है।
उनका काला वो धन सफेदी पर,
मेरी मेहनत का दाम जाली है।
उनसे मिलके भी क्या सुलह करनी,
जिनकी नीयत तमाम काली है।
कैसा दस्तूर, फूल के बदले,
उसने तलवार एक निकाली है।
"देव" एक पल का भी भरोसा नहीं,
तुमने क्यों कल पे बात टाली है। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-११.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
बंद कमरा, मकान खाली है।
बाग़ सूखे, उदास माली है।
प्यार किससे करूँ, बता तो सही,
आज हर दिल में तंगहाली है।
मुझको झाडी में फ़ेंक या अपना,
जान क़दमों में तेरे डाली है।
उनका काला वो धन सफेदी पर,
मेरी मेहनत का दाम जाली है।
उनसे मिलके भी क्या सुलह करनी,
जिनकी नीयत तमाम काली है।
कैसा दस्तूर, फूल के बदले,
उसने तलवार एक निकाली है।
"देव" एक पल का भी भरोसा नहीं,
तुमने क्यों कल पे बात टाली है। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-११.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।