Saturday 30 June 2012

♥धवल प्रेम...♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥धवल प्रेम...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गुलाबी रंग अधरों का, तुम्हारे केश हैं प्यारे!
नयन ऐसे चमकते हैं, गगन में जैसे हैं तारे!

हँसी है आपकी सुंदर, मधुरता से भरी बोली!
तुम्हारे प्रेम ने खुशियों से, भर दी है मेरी झोली!
है दर्पण सोच का सुन्दर, नहीं मन में कोई छल है,
तुम्हारे प्रेम में शुद्धि, हो चन्दन, जैसे हो रोली!

तुम्हारा प्रेम में मन जीतने के, हैं हुनर सारे!
गुलाबी रंग अधरों का, तुम्हारे केश हैं प्यारे!"

..............चेतन रामकिशन "देव".................

Friday 29 June 2012

♥मातृभूमि के लिए..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥मातृभूमि के लिए..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥


मातृभूमि के लिए ह्रदय में , कुर्बानी के भाव रखो तुम!


अपने चिंतन और शब्दों मे , सत्यपूर्ण प्रभाव रखो तुम!


माँ का आँचल मैला न हो और आंचल पर दाग लगे न!


देश में अपने किसी कार्य से, हिंसा वाली आग लगे न!


देश के मानव एक सूत्र में बंधकर प्रेम के दीप जलायें,


मानवता जो खंडित करदे , दिल में ऐसा राग जगे न!


शत्रु ने जो दिए देश को, सम्मुख वो सब घाव रखो तुम!


मातृभूमि के लिए ह्रदय में, कुर्बानी के भाव रखो तुम!"


........"शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव".........

Thursday 28 June 2012

♥विरह की पीड़ा ♥


♥♥♥♥♥♥♥विरह की पीड़ा ♥♥♥♥♥♥♥
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही!
मेरे जीवन की हर्षित, किरण ढल रही!
अब विरह भाव को मुक्त कर दो जरा,
ना दिवस शीत है, रात भी जल रही!

क्रोध की भावना से, ना दण्डित करो!
मेरे कोमल ह्रदय को, ना खंडित करो!

तेरे बिन प्रेम की, रीत ना चल रही!
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही........

तेरे बिन शूल पांवो में चुभने लगे!
वो सफलता भरे, पग भी रुकने लगे!
तेरे बिन हैं तिमिर के मनोभाव बस,
अब पथों के उजाले भी, बुझने लगे!

प्रेम की भावना का, ना उपहास कर!
इस तरह हर्ष का, तू नहीं ह्रास कर!

तेरे बिन प्रेम की, रीत ना चल रही!
तेरे बिन ना सुमन, ना कली खिल रही!"

"प्रेम, में विरह बहुत पीड़ा देती है! प्रेम और विरह का सम्बन्ध भी है, किन्तु फिर भी अपनी तरफ से प्रयास करियेगा कि, आपने द्वारा किसी को विरह ना मिले! क्यूंकि, विरह की पीड़ा, व्यक्ति को हतो-उत्साहित करती है!

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२८.०६.२०१२

♥जीवन उद्द्देश्य..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन उद्द्देश्य..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम अपने सपनो को देखो ,कभी विश्राम न देना!
कभी हिंसा भरा, नफरत भरा पैगाम न देना!

किसी भी कार्य से पहले, निराशा पास न लाना,
कभी भयभीत होकर, हार का तुम नाम न लेना!

कभी सच मर नहीं सकता, उजागर हो ही जाता है,
कभी सच बेचने को भूलकर भी दाम न लेना!"

......"शुभ-दिन".......चेतन रामकिशन "देव".....

Tuesday 26 June 2012

♥माँ तो है वरदान..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥माँ तो है वरदान..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है!
मेरा सर गोद में रख, आपने मुझको सुलाया है!

मेरी माँ आप जैसा त्याग कोई कर नहीं सकता!
मेरी माँ आप जैसा रूप, कोई धर नहीं सकता!
है इक बस माँ ही जो बच्चों के आंसू सोख लेती है,
कोई माँ की तरह जीवन में खुशियाँ भर नहीं सकता!

रही माँ भूख में लेकिन, मुझे भोजन कराया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है....

मेरी माँ आपकी ममता मेरी आँखों को भाती है!
मेरी माँ आपकी ममता, मुझे सीने लगाती है!
मेरी माँ आप का, वरदान मुझको हर्ष देता है,
मेरी माँ आपकी ममता, मुझे लोरी सुनाती है!

मेरी माँ आपके आशीष ने, हर सुख दिलाया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है.........

मेरी माँ आपका अपनत्व, मेरी प्राण शक्ति है!
मेरी माँ आपकी खातिर, मेरे ह्रदय में भक्ति है!
मेरी माँ आपके ही स्नेह से तो "देव" पुलकित है,
मेरी माँ आपके सानिध्य में, हर दुख से मुक्ति है!

मेरी माँ आपने सच्चाई का, दीपक जलाया है!
मुझे माँ आपने ऊँगली पकड़ चलना सिखाया है!"


"
माँ, अनमोल चरित्र! कोई नहीं माँ जैसा! माँ का अनमोल स्नेह, ममतापूर्ण व्यवहार मानव जीवन की सबसे बड़ी दौलत है, क्यूंकि जीवन चक्र में अनेकों सम्बन्ध, अनेकों रिश्ते आते हैं, किन्तु माँ जैसा कोई नहीं होता................."

"मेरी दोनों माताओं और माँ शब्द को समर्पित रचना"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२७.०६.२०१२

रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
सर्वाधिकार सुरक्षित!

Monday 25 June 2012

♥प्रेम की अनुभूति.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की अनुभूति.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन, तुम साया बनकर रहती हो!
तुम मेरे सपनों में आकर, प्यार भरी बातें कहती हो!

तेरे प्रेम की अनुभूति तो, वायु में भी घुली-मिली है!
तेरे आने से जीवन की बगिया में हर कली खिली है!

मुझको कोई चोट लगे तो, तुम मेरी पीड़ा सहती हो!
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन , तुम साया बनकर रहती हो!"

....................चेतन रामकिशन "देव"........................

Sunday 24 June 2012

♥उजली किरण.♥



♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥उजली किरण.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुबह की उजली किरण ने देखो, किया है रोशन जहाँ ये सारा!
हवा भी शीतल सी बह रही है, बड़ा ही दिलकश है यह नज़ारा!

तुम मन्दिर के ज्योति कलश सा, मन अपने को शुद्ध बनाना!
अपनी खुशियों की खातिर तुम , किसी के दिल को नहीं दुखाना!

ये जग कभी ना सुधर सकेगा जो हम ने खुद को ना सुधारा!
सुबह की उजली किरण ने देखो, किया है रोशन जहाँ ये सारा!"

............"शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...............

Saturday 23 June 2012

♥मृत्यु(कटु सत्य)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मृत्यु(कटु सत्य)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पहरेदारी कर लो कितनी, मृत्यु तो निश्चित आनी है!
धन, दौलत और संपत्ति भी, यहीं धरा पर रह जानी है!

मृत्यु नाम नहीं मिथ्या का, मृत्यु सबसे बड़ा सत्य है!
नहीं समझ पाता है कोई, मृत्यु ऐसा जटिल तथ्य है!

दया नहीं मृत्यु के दिल में और न आँखों में पानी है!
पहरेदारी कर लो कितनी, मृत्यु तो निश्चित आनी है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"..................

Thursday 21 June 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥क्रांति लानी होगी...♥♥♥♥♥♥♥♥
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!
इन सबके हाथों से पाए, ज़ख्म हमे भरने ही होंगे!
यदि न अपनी चुप्पी तोड़ी, तो शोषण भी नहीं रुकेगा,
शोषण से मुक्ति पाने को, युद्ध, जंग करने ही होंगे!

पूंजीपतियों के संग देखो, मिली भगत करती सरकारें!
जनता के संग लूट-पाट की, रोज जुगत करती सरकारें!

अपने ही हाथों से हमको, अपने दुख हरने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे........

देश के नेता लूट रहे हैं, हर मद में घोटाला करते!
निर्धन को अँधेरा देकर, अपने यहाँ उजाला करते!
जनता के दुख दर्द से इनको, कोई मतलब नहीं रहा है,
अपनी करतूतों से नेता, देश के मुंह को काला करते!

जिस धरती पे जन्म लिया है, उसका ही सौदा करते हैं!
देश के ये खद्दरधारी बस, अपनी ही झोली भरते हैं!

हमको इन नेताओं के अब, मुंह काले करने ही होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!

चलो याचना करने की नीति का, मन से त्याग करो तुम!
अपने मन में साहस वाली, जिन्दा जलती आग भरो तुम!
"देव" जरा तुम अपने मन को, चलो जरा बलवान बनाओ,
अपने सुप्त ह्रदय से लोगों, निंद्रा का परित्याग करो तुम!

चलो जरा हम इनसे अपने, अधिकारों की जंग लड़ेंगे!
रणभूमि में मरते दम तक, शीश हमारे नहीं झुकेंगे!

तीन रंगों के आंचल हमको, आज़ादी से भरने होंगे!
इन देशी अंग्रेजों से अब, हाथ चार करने ही होंगे!"


" देश में सत्ताधारियों ने जनता के विकास का रास्ता त्यागकर, अपने पथों में पुष्प बिछाने का कार्य करना शुरू कर दिया है! बेबस जनता सड़कों पर भूखे पेट सो रही है तो किसान क़र्ज़ में डूबकर आत्महत्या कर रहा है! बेरोजगार युवक, नौकरी न मिलने की कुंठा में फंसी पर झूल रहे हैं, जागना होगा इस नींद से, करना होगा युद्ध इनसे जो उन अंग्रेजों से ज्यादा दमनकारी और घातक है!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२२.०६.२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित

Wednesday 20 June 2012

♥चिंतन को सुप्त न करना...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥चिंतन को सुप्त न करना...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गति कलम की मंद न करना, तुम चिंतन को सुप्त न करना!
अपने मन की अभिव्यक्ति को, अपने मन में लुप्त न करना!

इस दुनिया के लोग तुम्हें जो, संबोधन दें भ्रष्ट पुरुष का,
अपने जीवन की शैली को, तुम लालच से युक्त न करना!

अपने जीवन में मर्यादा, नैतिकता, अपनापन रखना,
अहंकार के वस्त्र पहनकर, इन सबको तुम मुक्त न करना!

चमक झूठ में होती लेकिन, इक दिन चमक उतरती उसकी,
इसीलिए तुम सच्चाई को, अंधकार में गुप्त न करना!"

........"शुभ-प्रभात"..........चेतन रामकिशन "देव".........

Tuesday 19 June 2012

♥प्रेम की परिभाषा..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की परिभाषा..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चलो प्रेम की परिभाषा का, आपस में विस्तार करें हम!
भेदभाव की सोच त्यागकर, इक दूजे से प्यार करें हम!

दिल में अपने नफरत भरके, मानवता बदनाम न करना!
धन-दौलत के भूखे बनकर, रिश्तों को नीलाम न करना!
इस दुनिया में अपने कर्मों से, होती पहचान मनुज की,
बुरा जो तुमको कहे ज़माना, कोई ऐसा काम न करना!

चलो राह में फूल बिछाकर, प्रेम का पथ तैयार करें हम!
चलो प्रेम की परिभाषा का, आपस में विस्तार करें हम!"

..........."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"...........

Monday 18 June 2012

♥जीवन का ध्येय.♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥जीवन का ध्येय.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥

तपिश धूप की हो कितनी पर, छाया की उम्मीद न खोना!


तुम अपनी मंजिल पाने को, कभी झूठ के बीज न बोना!

कभी किसी की मज़बूरी का, न उपहास उड़ाना यारों,


और किसी लाचार के खूं से, अपने हाथ कभी न धोना 

इस जीवन में हार जीत तो, सिक्के के दो पहलु जैसी,


अगर हार भी मिल जाये तो, फूट फूट कर तुम न रोना!

निद्रारत लोगों को जग में नहीं सफलता मिल पाती है, 


अपनी मेहनत और लगन से, तुम मिटटी को कर दो सोना!

"देव" जिंदगी के आँचल में, गहरे गहरे ज़ख्म छुपे हैं,


लेकिन ज़ख्मों से भय खाकर, भूले से भी धेर्य न खोना!"



............."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"........





Saturday 16 June 2012

♥चिंतन.♥♥

♥♥♥♥♥चिंतन.♥♥♥♥♥
मिथ्या के संवाद करो न,
मानवता बरबाद करो न,
अपने दुख को सहना सीखो,
दुनिया से फरियाद करो न!

मृत्यु तो आयेगी इक दिन,
मृत्यु से भय करना छोड़ो!
कमज़ोर से लूट-पाट कर,
अपने कोष को भरना छोड़ो!

अपनों से परिवाद करो न!
हिंसा को आबाद करो न!
अपने दुख को सहना सीखो,
दुनिया से फरियाद करो न!"

.."शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"

♥प्यार का दीप जला दें हम..♥

♥♥♥♥♥प्यार का दीप जला दें हम..♥♥♥♥♥
आओ दिल से दिल का मिलन करा दें हम ,
सारे जग को प्यार का सबक सिखा दें हम !

नहीं किसी ने नफरत से कुछ पाया कभी ,
आओ नफरत का यह महल गिरा दें हम !

भीड़ से हटकर आज अपनी पहचान बने ,
इस दुनियां को आओ स्वर्ग बना दें हम !

जिस मिटटी में यारो हमने जन्म लिया,
माथे का अब उसको तिलक बना दें हम!

“देव” झूठ का तम न व्यापक हो पाए,
घर घर प्यार का दीपक आज जला दे हम! "

चेतन रामकिशन "देव"-----------रचना संपादन-माँ प्रेमलता जी!

दिनांक-१४.०६.२०१२

♥दिल का सुकूं ♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का सुकूं ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुमने दिल को सुकूं दिया है, तुमने ही आराम दिया है!
तुमने ही मेरे जीवन को, चाहत का पैगाम दिया है!

कितनी भी तारीफ करूँ पर, सब तारीफें होती कम हैं!
मेरे दुःख में, मेरे दर्द में, निगाह तुम्हारी होती नम हैं!

तुमने मेरे नाम के संग में, हमदम अपना नाम दिया है!
तुमने दिल को सुकूं दिया है, तुमने ही आराम दिया है!"

..................चेतन रामकिशन "देव"....................

♥संघर्ष...♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥संघर्ष...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सपने भी सच हो जायेंगे, तुम युक्ति संघर्ष की सीखो!
नहीं निराशा में उलझो तुम, तुम युक्ति निष्कर्ष की सीखो!

उम्मीदों के पंख लगाकर, आशाओं के दीप जलाकर!
जिस मंजिल पर जाना तुमको, उसी दिशा में कदम बढाकर!
हिम्मत को अपने मन भरके और मुश्किल से हाथ मिलाकर,
तुम्हे लक्ष्य को पाना है बस, हर पर्वत, चट्टान गिराकर!

श्रेष्ठ करो प्रदर्शन अपना, तुम युक्ति उत्कर्ष की सीखो!
सपने भी सच हो जायेंगे, तुम युक्ति संघर्ष की सीखो!"

...."शुभ-दिन"..........चेतन रामकिशन "देव".............

♥तस्वीरें..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तस्वीरें..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
धीमे धीमे होठ हिलाकर, तस्वीरें भी बोल रही हैं!
चारों ओर फिजा में देखो, प्यार की खुश्बू घोल रही हैं!

तस्वीरें ही बीते कल की, यादों को रौशन करती हैं!
कभी ख़ुशी के झोंके देतीं, कभी आंख को नम करती हैं!

कभी किसी अनदेखे मुख के, परदे को भी खोल रही हैं!
धीमे धीमे होठ हिलाकर, तस्वीरें भी बोल रही हैं!

.................चेतन रामकिशन "देव"..................

♥पिता के साये में ..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥पिता के साये में ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पिता का कद आकाश सरीखा, बच्चों को साया देता है!
पिता सदा अपने बच्चों को, प्यार भरी छाया देता है!

जो गलती होती हमसे तो, पिता सही दर्पण दिखलाते!
बन बच्चों के पथ प्रदर्शक , जीवन से लड़ना सिखलाते!

खुद रहकर के पीड़ा में भी , हर्ष की धन, माया देता है!
पिता का कद आकाश सरीखा, बच्चों को साया देता है!"

" फादर्स डे पर अपने पिता और सभी पिताओं को नमन!"

//////////////////चेतन रामकिशन "देव"////////////////////

Thursday 7 June 2012

♥निर्धन की दुश्वारी.♥


♥♥♥♥♥निर्धन की दुश्वारी.♥♥♥♥♥
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!
उनके आंसू और उनकी लाचारी को!
सरकारें बस जुटी हैं शोषण करने में,
कोई न जाने निर्धन की बेकारी को!

फुटपाथों पर धूप में रहकर जीते हैं!
प्यास लगे तो अपने आंसू पीते हैं!

दवा नहीं मिलती इनकी बीमारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

आँखों के नीचे कालापन रहता है!
उनके जीवन में सूनापन रहता है!
बदन भी पिंजर के जैसे हो जाते हैं,
जीवन में उनके भूखापन रहता है!

निर्धन का तो हाल बड़ा बेहाल हुआ!
मेहनतकश होकर भी कंगाल हुआ!

नहीं रोकता कोई कालाबाजारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

सरकारों से भी अब उनको आस नहीं!
सरकारों पर अब उनको विश्वास नहीं!
सरकारों पर "देव" यकीं भी हो कैसे,
सरकारों को जब दुख का एहसास नहीं!

संकट के लम्हे ही उनपर बीते हैं!
अपने हाथों से ज़ख्मों को सीते हैं!

कोई न सींचे इनकी सूखी क्यारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!"

" निर्धन का जीवन स्तर, मेहनतकश होने के बाद भी, शून्य ही रहता है! क्यूंकि देश की व्यवस्था ही ऐसी हैं! नेता इन लोगों से झूठे वादे करके सत्ता प्राप्ति कर लेते हैं पर फिर इनका ध्यान भूल जाते हैं! निर्धनों को अपनी दशा सुधारनी है तो क्रांति का अग्रदूत बनना होगा उन्हें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०९-०६-२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित~

♥तुम्हारा नाम..♥


♥♥♥♥♥♥तुम्हारा नाम..♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल पर लिखा, नाम तुम्हारा है!
सुबह-शाम, हर लम्हा तुम्हे निहारा है!

मन के सागर में आये तूफां कितने,
तेरे प्यार ने हर पल दिया किनारा है!

तू जीवन में मंत्रमुग्ध सौगात बनी!
मरुभूमि में तू जल की बरसात बनी!

तुमने मेरा जीवन सदा संवारा है!
मेरे दिल पर लिखा नाम तुम्हारा है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........

Wednesday 6 June 2012

♥♥फूल.♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥फूल.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
फूलों जैसे बनना है तो, दिल से बैर मिटाना सीखो~
अपने हाथों से नफरत की, तुम तलवार गिराना सीखो!

अपनी राहों में फूलों की, तुम चाहत करने से पहले,
औरों के रस्ते में यारों, सुन्दर फूल बिछाना सीखो!

मुश्किल और आंसू से डरकर, नहीं मिली है जीत किसी को,
हर मुश्किल को मेरे यारों, हंसकर गले लगाना सीखो!

धन-दौलत और अहंकार से, नहीं लोग दिल से जुड़ते हैं,
सबके दिल में बसना है तो, अपना शीश झुकाना सीखो!

उम्दा इन्सा बनना है जो "देव" तुम्हे इस दुनियां में तो
मजलूमों के ज़ख्मों पर तुम, मरहम जरा लगाना सीखो

..............चेतन रामकिशन "देव"................

Tuesday 5 June 2012

♥माँ का दिल..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥माँ का दिल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!
पश्चाताप की सुईं से भी, ज़ख़्म नहीं तुम सी सकते हो!

माँ अपनी संतानों को न, भेद-भाव की सोच सिखाती!
हों संतान भले कितनी पर, माँ तो सबको गले लगाती!
माँ की प्यार भरी ममता तो, होती है निश्चल पावन सी,
माँ अपने नन्हें से दिल से, दुनिया भर का प्यार लुटाती!

माँ की तरह तुम आंसू के, सागर को न पी सकते हो!
माँ के दिल को छलनी करके, नहीं चैन से जी सकते हो!"

....."शुभ-दिन".............चेतन रामकिशन "देव"..........

♥पिता( स्नेह के पोषक)♥


♥♥♥♥♥♥♥♥पिता( स्नेह के पोषक)♥♥♥♥♥♥♥
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!
पिता अपने शिशु के दर्द के, आंसू के अवशोषक!

है माँ अनमोल तो देखो, पिता भी कम नहीं होते!
हाँ सच है हर घड़ी कर्तव्य, उनके सम नहीं होते!

पिता होते दयालु हैं, नहीं होते कभी शोषक!
पिता कर्तव्य के पालक, पिता स्नेह के पोषक!"

..............चेतन रामकिशन "देव".....................

Monday 4 June 2012

♥सूखी हरियाली..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सूखी हरियाली..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!
वन सम्पदा झुलस रही है, और घटे आकार खेत के!

आज लोग बस अपने सुख में, प्रकृति का हनन कर रहे !
दूषित गैस रसायन से वो, वायुमंडल क्षरण कर रहे!
प्रकृति इस ज़हर से देखो, बिन मृत्यु के मौत पा रही,
ऐसा आलम देखके भी हम, न चिंतन, न मनन कर रहे!

चिमनी के काले धुएँ से, रंग हुए बदरंग बेत के!
अब हरियाली सूख रही है, खिले हैं जंगल ईंट-रेत के!"

"बेत-आकाश"

विश्व पर्यावरण दिवस पर आइये चिंतन करें!
.............."शुभ-दिन" ...चेतन रामकिशन "देव"..................

Sunday 3 June 2012

♥.कलम की हिफाज़त.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥.कलम की हिफाज़त.♥♥♥♥♥♥♥♥
कलम के नाम पर बदनामी का न दाग लग जाये!
कलम से जाति, मज़हब, धर्म की न आग लग जाये!

कलम से हमको समरसता का, एक सन्देश देना है!
कलम से हमको सच्चाई, भरा उपदेश देना है!


कलम की नोंक पर न, स्वार्थ विष का झाग लग जाये!
कलम के नाम पर बदनामी का न दाग लग जाये!"

............"शुभ-दिन"..चेतन रामकिशन "देव"...............

♥तस्वीर की रंगत♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥तस्वीर की रंगत♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी तस्वीर में रंगत से, तुम्हारे प्यार से आई!
हवा भी महकी महकी है, खुशी की रोशनी छाई!

बड़ा पावन, बड़ा निश्चल, ये देखो प्यार होता है!
खुशी के दीप जगमग हों, जहां गुलजार होता है!
ये सच है प्यार के पथ पर, हजारों शूल चुभते हैं,
मगर इस प्यार से ही खुशनुमा किरदार होता है!

खिला हर फूल उपवन में, कली भी देखो मुस्काई!
मेरी तस्वीर में रंगत से, तुम्हारे प्यार से आई!

..............चेतन रामकिशन "देव"................

Saturday 2 June 2012

♥तुम्हारी छवि..♥


♥♥♥♥♥तुम्हारी छवि..♥♥♥♥♥♥
छवि तुम्हारी फूलों जैसी प्यारी है!
तू मेरे घर अंगना की फुलवारी है!

हर लम्हा तू रहती है एहसासों में!
तू वसती है हमदम मेरी सांसों में!

तुझसे मेरी रूह की नातेदारी है!
छवि तुम्हारी फूलों जैसी प्यारी है!"

.......चेतन रामकिशन "देव"........

Friday 1 June 2012

♥भावों की कविता..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥भावों की कविता..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल में रहती हो तुम, मेरे भावों की कविता हो!
मेरे मन में बहती हो तुम, तुम मीठे जल की सरिता हो!

फूलों जैसी खिली खिली तुम, खुश्बू प्रवाहित करती हो!
बड़े ही सुन्दर मनोभाव से, प्रेम को परिभाषित करती हो!

मुझे रोशनी देने वाली, तुम ज्योति, तुम ही सविता हो!
मेरे दिल में रहती हो तुम, मेरे भावों की कविता हो!"

.........................चेतन रामकिशन "देव".......................