♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की अनुभूति.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन, तुम साया बनकर रहती हो!
तुम मेरे सपनों में आकर, प्यार भरी बातें कहती हो!
तेरे प्रेम की अनुभूति तो, वायु में भी घुली-मिली है!
तेरे आने से जीवन की बगिया में हर कली खिली है!
मुझको कोई चोट लगे तो, तुम मेरी पीड़ा सहती हो!
मीलों दूर हो मुझसे लेकिन , तुम साया बनकर रहती हो!"
....................चेतन रामकिशन "देव"........................
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