Thursday 11 December 2014

♥♥लफ़्ज़ों की स्याही...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥लफ़्ज़ों की स्याही...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरा खत जब भी देखा है, तेरा एहसास पाया है। 
तेरा चेहरा, तेरे लफ़्ज़ों की स्याही में समाया है। 

भले मैं बेवफा था या वफ़ा तुम कर नहीं पायीं,
तेरे सजदे में मेरा सर, जो तेरा दिल दुखाया है। 

भले रिश्ता नहीं बाकी जो तुमसे बात भी कर लूँ,
मगर तेरे तरन्नुम ने, मेरी ग़ज़लों को गाया है।  

बिछड़ना था अगर किस्मत, तो क्यों मिलने के पल बख्शे,
खुदा तेरी खुदाई ने भी, क्या आलम दिखाया है। 

मोहब्बत मेरी नज़रों में, नहीं हसरत नुमाईश की,
तभी टूटे हुये दिल को, यहाँ मैंने छुपाया है। 

तड़प, या दर्द या आंसू, या खुशियों के कोई तोहफे,
मुझे तुमने दिया जो भी, वो माथे से लगाया है। 

सफर तन्हा है लेकिन "देव", फिर भी काट लेता हूँ,
हुनर तुमने ही तो गिरकर के, उठने का सिखाया है। "


.................चेतन रामकिशन "देव"……...........
दिनांक--१२.१२.२०१४