Thursday, 7 June 2012

♥निर्धन की दुश्वारी.♥


♥♥♥♥♥निर्धन की दुश्वारी.♥♥♥♥♥
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!
उनके आंसू और उनकी लाचारी को!
सरकारें बस जुटी हैं शोषण करने में,
कोई न जाने निर्धन की बेकारी को!

फुटपाथों पर धूप में रहकर जीते हैं!
प्यास लगे तो अपने आंसू पीते हैं!

दवा नहीं मिलती इनकी बीमारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

आँखों के नीचे कालापन रहता है!
उनके जीवन में सूनापन रहता है!
बदन भी पिंजर के जैसे हो जाते हैं,
जीवन में उनके भूखापन रहता है!

निर्धन का तो हाल बड़ा बेहाल हुआ!
मेहनतकश होकर भी कंगाल हुआ!

नहीं रोकता कोई कालाबाजारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को....

सरकारों से भी अब उनको आस नहीं!
सरकारों पर अब उनको विश्वास नहीं!
सरकारों पर "देव" यकीं भी हो कैसे,
सरकारों को जब दुख का एहसास नहीं!

संकट के लम्हे ही उनपर बीते हैं!
अपने हाथों से ज़ख्मों को सीते हैं!

कोई न सींचे इनकी सूखी क्यारी को!
कोई न जाने निर्धन की दुश्वारी को!"

" निर्धन का जीवन स्तर, मेहनतकश होने के बाद भी, शून्य ही रहता है! क्यूंकि देश की व्यवस्था ही ऐसी हैं! नेता इन लोगों से झूठे वादे करके सत्ता प्राप्ति कर लेते हैं पर फिर इनका ध्यान भूल जाते हैं! निर्धनों को अपनी दशा सुधारनी है तो क्रांति का अग्रदूत बनना होगा उन्हें..."

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-०९-०६-२०१२

सर्वाधिकार सुरक्षित!
रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित~

♥तुम्हारा नाम..♥


♥♥♥♥♥♥तुम्हारा नाम..♥♥♥♥♥♥♥
मेरे दिल पर लिखा, नाम तुम्हारा है!
सुबह-शाम, हर लम्हा तुम्हे निहारा है!

मन के सागर में आये तूफां कितने,
तेरे प्यार ने हर पल दिया किनारा है!

तू जीवन में मंत्रमुग्ध सौगात बनी!
मरुभूमि में तू जल की बरसात बनी!

तुमने मेरा जीवन सदा संवारा है!
मेरे दिल पर लिखा नाम तुम्हारा है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"........