Wednesday 11 May 2016

♥♥ पत्थर...♥♥

♥♥♥♥♥ पत्थर...♥♥♥♥♥
पत्थर को पत्थर रहने दो। 
कायम मेरा घर रहने दो। 

अब हंसने से दिल दुखता है,
आँखे मेरी तर रहने दो। 

झूठ बोलकर झूठी इज़्ज़त,
सच का ऊँचा सर रहने दो। 

जान तो एक दिन सबकी जानी,
क्यों मरने का डर रहने दो। 

बेटी तो तितली जैसी हैं,
जिन्दा इनके पर रहने दो। 

बिजली चमकी डर लगता है,
गोद में मेरा सर रहने दो। 

"देव " वसीयत लिख लो मेरी,
माँ की मूरत पर रहने दो। "

........चेतन रामकिशन "देव"…… 
दिनांक-११.०५.२०१६ 
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