Monday 4 August 2014

♥♥मुफ़लिसी♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मुफ़लिसी♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
खून बहा जाये ज़ख्मों से, दवा कोई करने नहीं आता !
मुफ़लिस के भूखे बच्चे को, कोई रोटी नहीं खिलाता !
आँख से आंसू बहते रहते, चीख चीख कर दिल रोता है,
करते हैं दुत्कार उसे सब, गले से नहीं कोई लगाता!

मुफ़लिस के नन्हे बच्चों को, बाल श्रम करना पड़ता है!
भूख प्यास में आंसू पीकर, पेट यहाँ भरना पड़ता है!

घोर उदासी है सूरत पर, न वो हँसता, न मुस्काता!
खून बहा जाये ज़ख्मों से, दवा कोई करने नहीं आता !

बिना दवा के मर जाता है, दवा बहुत महंगी मिलती है!
घोर वेदना सहता है वो, नहीं ख़ुशी कोई मिलती है!
"देव" वतन में मुफ़लिस को, एक घर तक नहीं मयस्सर होता,
नहीं अँधेरा छंट पाता है, नहीं कोई ज्योति खिलती है!

क़र्ज़ में डूबे मुफ़लिस की बस, अंतिम आस यही होती है!
किसी पेड़ पे या खम्बे पे, उसकी लाश रही होती है!

मुफ़लिस के पथरीले पथ पर, कोई रेशम नहीं बिछाता!
खून बहा जाये ज़ख्मों से, दवा कोई करने नहीं आता ! "

....................चेतन रामकिशन "देव"….................
दिनांक-०५ .०८. २०१४


हम तुम जब एक

♥♥हम तुम जब एक♥♥♥
हम तुम जब एक हो जायेंगे!
जगमग तारे हो जायेंगे!
सखी डूब जाना तुम मुझमें,
हम भी तुझमें खो जायेंगे!
धवल चांदनी का वो पर्दा,
आसमान में लहराएगा,
एक दूजे की नजदीकी में,
हम चुपके से सो जायेंगे!

प्यार के मीठे सपने होंगे,
शोर शराबा थम जायेगा!
हम दोनों के प्यार के देखो,
हसीं सिलसिला बन जायेगा!

हम सपनों में मिलन भाव के,
नव अंकुर को बो जायेंगे!
हम तुम जब एक हो जायेंगे!
जगमग तारे हो जायेंगे। ...

बीच रात में आँख खुले तो,
गीत प्यार का तुम दोहराना!
नाम मेरा लेकर हौले से,
सखी नींद से मुझे जगाना!
हम दोनों फिर प्यार वफ़ा की,
बातों का एहसास करेंगे,
मैं भी साथ रहूँगा तेरे,
तुम भी मेरा साथ निभाना!

खूब पड़ेगी प्यार की बारिश,
बादल सुरमई हो जायेंगे!
हम तुम जब एक हो जायेंगे!
जगमग तारे हो जायेंगे! "


......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक-०४ .०८. २०१४